मेरे ज़ेहन में इक
ख़्यालों का समंदर है,
वहीँ गहराई में कहीं इक ख़्याल है कोहेनूर सा,
कि इक आशियाँ है मेरी
ख्वाहिशों का,
जिसके दर-ओ-दीवार
बने हैं एहसास से सुकून से,
जो रखते हैं वजूद
तेरे चेहरे की उस ख़ुशी भर से,
जिससे देखने को करूँ
तेरा हर ख्वाब पूरा I
मेरे ज़ेहन में इक
ख़्यालों का समंदर है,
वहीँ गहरायी में कहीं इक ख़्याल है कोहेनूर सा I